Sunday, 12 November 2017

Crypto Currency:Bitcoin

Every day is a unique day progressing with a lot of new of technology. We tend to adjust ourselves to the modern technology. The basic things to live are gained by money and it was introduced for the reason of barter. When we look back into in the past around 900 B.C the money was invented for day to day utility and exchange of a commodity. But there was a problem with that system. People faced difficulties in portability and durability like grains would get spoiled. So precious metals came into existence for the exchange of money which was more easily divisible. Just one thousand years back paper money was born and the precious metals were deposited with Goldsmiths. Later goldsmiths became bankers where they issued paper receipts to the depositors. This is how paper money was born. Over a period of, time these receipts were physically transferred between people. Now the money we use is called fiat money which is not back by the gold standards (precious metal).

The fiat money is portable, easy to transfer and is authorised by the central nation. But from the past few decades, we have increasingly transferred money through electronic networks. Now with electronic networks, there’s a problem. In electronic networks, we need to trust a third party like a bank, credit card company who oversees and authorises our transactions. So, these third parties are really powerful. They can disallow our transactions and so much more. Although electronic money is ours we can only use it upto a permissible level set by the third party. All we have to do is trust third party. We also find difficulties in transferring money to the people outside the country where we have to pay tax for the exchange. The usage of fiat money can lead to the cause of inflation and sometimes hyperinflation too. In January 2009 an anonymous person by the name Satoshi Nakamoto invented bitcoins, which is regarded as the best kind of money. It has the benefits of both electronic and physical money in which we don’t need any third parties. So with the Bitcoins, we can maintain our data and privacy during transactions. Even a villager can open Bitcoin account easily, all he needs is a smart phone and can pay anyone in this world. Bitcoin is a global currency and it does not depend upon any other currencies and no one controls it. Bitcoin is rare which means there are only 21 million bitcoins ever created with the Bitcoin network. As the supply is fixed and demands goes high, price will increase. Bitcoin is resistant to inflation and hyperinflation. So the fixed number of bitcoins can be easily distributed to the world population as it can be infinitely divisible. Bitcoin is legal and most of the multinational companies have invested huge amounts of money for the startup of Bitcoins. 8million Bitcoin accounts were created in a couple of years. There are Bitcoin ATM’s where we can withdraw our local currency. So the present value of 1 bitcoin is 419682.55 indian rupee . it changes time to time. Many apps were created for use of Bitcoins.
-Pranay Kumar
(IMT-2017-028)

Thursday, 2 November 2017

साक्षात्कार । कवि लटूरी लट्ठ



प्र0ः-1 महोदय, लोग अपने नाम में भिन्न भिन्न प्रकार के नाम जोड़ते हैं, लेकिन आपने अपने नाम में ’’लट्ठ’’ शब्द का प्रयोग किया है, इसके पीछे क्या रहस्य है ? 

उ0ः- कई रहस्य है इसके पीछे। एक तो हमारे काका बहुत बडे़ कवि थे, तो उन्होंने लट्ठ के गुणों का वर्णन किया था - ’’ लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिए संग। नद नाले गहरे भरेें वहाँ बचावे अंग ’’ ।। यानि कि लाठी बहुत गुणवान है और लोग अपने साथ रखना पसंद करते हेैं । आज भी लाठी का महत्त्व है । अब लोग गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं , पहले पैदल चलना पड़ता था तो कुत्ते का डर रहता था, तब लाठी साथ रखते थे । बुढ़ापे में जब लोगों की कमर झुक जाती है तब लाठी काम आती है । दूसरा यह कि मेरी ’’बैकबोन’’ फै्रक्चर हो गई थी 1987 में तो मैं लगभग छह महीने तक बिस्तर पर रहा , तो मैं तीन साल तक बिना लाठी के चल नहीं सकता था । हम गाँव के रहने वाले हेैं, लाठी को लट्ठ बोल देते हैं । तो मोहल्ले में लोग खुद से ही ’’ लट्ठ-लट्ठ ’’ बोलने लगे । और सर्टिफिकेट में नाम ’’लटूरी लाल’’ है, यह मेरी दादी का दिया हुआ नाम है । तो वह हटाना भी नहीं है । जो सर हमें इंटरमीडियेट में मैथ्स पढ़ाते थे तो उन्होंने ऐसा कुछ कहा कि तुम ’’एल-स्कवायर’’ हो, अब ’’एल-क्यूब’’ हो जाओ । तो वह एल-क्यूब करने के लिये भी नाम में लट्ठ लगा लिया गया । 



         प्र0ः-2 महोदय, वर्तमान स्थिति में ज्यादातर लोग गंभीर रहते हैं, आप अपनी कविताओं में हास्य रस कैसे लाते हैं, आप कैसे इतने सक्षम हैं लोगों को हंसाने में ?

 उ0 हंसने के पीछे दो कारण होते हैं । एक तो लोग दूसरों की मूर्खता पर हंसते हैं । जैसे उदाहरण के लिये आप बारिश में फिसल कर गिर गये, तो आपके साथ वाले हंसने लगेंगे । आप गिर गये, वो हस रहे हैं । मतलब हमारे  दुःख 
से खुश होते हैं । लोग अपने दुःख से दुःखी नहीं हैं, दूसरों के सुख से दुःखी हैं । आपको मुसीबत में फंसा देखकर लोग खुश होना चाहते हैं । तो हम ऐसी बातें करते हैं कि लोगों के मन में ऐसा चला जाये कि हम दःुखी हैं , तो लोग हंसेंगे । कई बार हम अपनी कमज़ोरियों को लेकर भी हंसते है । तो लोग बस आपकी मूर्खता और कमज़ोरियों पर ही हंसते हैं ।


प्र03ः- महोदय, वक्त में थोड़ा पीछे चलते हैं , आपने कवितायें लिखना शुरू कैसे किया या फिर आपकी प्रेरणा क्या थी ? 


उ0 जहाँ मैं पैदा हुआ वहाँ बिजली नहीं थी और आज भी नहीं है । सरकार ने एक प्राथमिक स्कूल ज़रूर बना दिया था , जहाँ हम जाते थे । जब हम पढ़ा करते थे , तब लोगों में आज़ादी की उमंग ज्यादा थी । प्रभातफेरी निकलती थी , बच्चों को हाथ मे झण्डा दिया जाता था । गाँव में हर घर में लोग खुशी मनाते थे । हमारे घर वाले भी इतने पढ़े लिखे नहीं थे , तो कोई ऐसा नहीं था जो हमें कुछ सिखा देता ताकि हम भी 15 अगस्त में सम्मिलित होकर , कुछ बोलकर इनाम जीत सकें । तो जब हम कक्षा-3 में थे , तब हमने एक कविता लिखी । वो क्या था पता नहीं , पर जब हमने उसका प्रस्तुतिकरण किया , तो वह हमारे सारे शिक्षकों को बहुत अच्छी लगी । वह असल में व्यंग्य था । जो नेताओं का जनता के प्रति बर्ताव है और हमें आज़ादी तो मिली है, लेकिन बुरा करने के लिये , उस बुराई का ज़िक्र था । और वह बाद में पता चला कि इसे व्यंग्य कहते हैं । हमारे एक शिक्षक एक पत्रिका निकालते थे तो उस पत्रिका में हमारी कविता आयी , तो आगे और रूचि बढ़ी । 



प्र04ः- महोदय,  हिन्दी की स्थिति आज कुछ खास अच्छी नहीं है , तो उस पर आप आज कल के युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे ? 


उ0 मैं यह ज़रूर कहना चाहूँगा कि लोगों को अपनी मातृभाषा के प्रति जागरूक होना पड़ेगा । मेरा विचार यह है कि आज यह जो नैतिक पतन का युग प्रारंभ हो गया है , मैं पिछले दो या तीन दशक से यह नज़ारा देख रहा हूँ । समाज बेटियों को अच्छी नज़र से नहीं देखता । हमें अखबार पढ़ते समय भी शर्म आती है । यह जो पतन है उसका कारण है हमारा अपनी भाषा से दूर होना । ज्ञान और बुद्धिमत्ता में बहुत अंतर है । बुद्धिमत्ता आपको अपनी भाषा के माध्यम से ही मिलती है । हमारा मस्तिष्क अपनी भाषा का ग्राही होता है । एक एल.आई.सी. के एजेण्ट से हमारी बात हुई थी इस संदर्भ में । उसने कहा था ’’ पढ़े लिखे लोगों का बीमा करना आसान होता है ’’ , तो हमने इसका अर्थ यूूं निकाला कि पढ़े लिखे लोगों के पास ज्ञान तो होता है पर बुद्धिमत्ता नहीं , इसलिये वे जल्दी मूर्ख बन जाते हैं । हमारी भाषा हमें संस्कार देती है , संस्कृति की रक्षा भी करती है । हमने इस पर छंद भी लिखा है - 

                                                      
                              ’’ चाहते हो यदि राम जी को जानना , 
                                  तो तुलसी की मानस को सुनिए-सुनाईये 
                                  बाल-कृष्ण लीलाओं का सुख तभी मिलता है ,
                                  जब आप सूर-सागर में डुबकी लगाईये 
                                  ज्ञान चक्षु खोलने को साखियाँ कबीर की,
                                  प्रेम के अनन्य पद मीरा के भी गाईऐ
                                  किंतु है निवेदन जो मानना पड़ेगा सबै ,
                                 सबसे पहले आप अपनी हिन्दी सीख जाईये ’’ ।। 

   
   साक्षात्कार एवं संपादनः
   आकांक्षा तिवारी एवं तन्मय शर्मा 
    फोटोग्राफरः
   निशिधा श्री

An interview with Mr. Dinesh Chandwani , founder at THE WALNUT SCHOOL OF IDEAS





Q. What would you suggest someone who is interested in coding as well as photography?
A. I would suggest you to persue both.Upload your pictures on online platforms like Picsgag or shutterstock.You'll get a dollar for a single pic.You can make decent amount of money over a month,like say 5000-10000 rupees.One thing to be kept in mind is not to upload raw photos,you must edit them using a good software before.If you're enrolled in a college,you can upload pictures of the college and make sure you mention the name of the college.Most newspapers, channels,startups buy pictures from these sources only.You'll get to build a name for yourself and can help you open up opportunities further for various internships and jobs.You'll get to explore yourself and with time you'll know your niche,like nature,food,etc.

Q.What would you suggest someone to persue,MBA or M.tech?
A. Research what skills are hot in the market right now.You must know there are not enough jobs for M.techs at the moment.They're struggling to find jobs.Its better to get an MBA right now.You must research properly about the market demand.If you're good at everything,you can't settle with anything but the best.Also,if you've done B.tech,getting an M.tech won't make a lot of difference.

Q.Sir,I'm interested in singing.How can I start doing it professionally?
A. I would suggest you to subscribe to this website-ladbible.com.It has one time subscription fees of around INR 5000,which you probably spend over nonsensical stuffs every single month.You can upload your videos and they help you promote yourself.Your videos will be liked and shared.It's also important to promote yourself on social media,especially facebook .You'll need to do a lot of research and once you get into it,you'll learn what works and what doesn't.You need to keep up with the trend. You need to know the best you have and then market it,instead of perfecting it.You can learn many thinks from Dhnichak Pooja.She used negative publicity as a way to market herself.You'll have to find your niche.you'll have to find the hole in the market.

Q.Can you tell us differences between Indian and Australian parents?
A. They're more scared in our country.They worry about us a lot and care a lot about what's wrong and what's right.

Q.Do you like music, movies or TV series especially an Australian one?
A. There's not much in Australia but I like Simon Becker.I like a TV-series called "The Mentalist". Narcos is one of my favorite TV shows.

Q.Can you tell us something about the "Walnut School of Ideas" and also how did you came up with this name?
A. It was actually based on the Ice Age.You may have saw the squirrel carrying a walnut.I wanted to start a school,a real one which is different from the standard education system.It'll be government funded and we will not hold any shares.We operate in different cities.We've small offices in Hydrabad,Vijaywada and Nagpur which is like our base.As for our team,almost all of them are dropouts,so none of them carry that "Qualified" label.

 Interviewed and edited by-:
Akansha Tiwari and Riya Jain

Photographer-:
Prajwal Singh