कवयित्री पद्मिनी शर्मा का नाम मन में आते ही बेटी की संवेदना से लेकर नारियों
के प्रति समाज में व्याप्त विडम्बनाओं तक तमाम विषयों के मुक्तक और गीत मुखर हो
उठते हैं। मानवीय संवेदना तथा भारतीय संस्कृति की मूलभूत प्रवृत्तियाँ, कवयित्री
पद्मिनी शर्मा की रचनाओं में सहज उतर
आती हैं।
प्र.1 महोदया, हम जानना चाहते हैं, आपने बहुत ही छोटी उम्र से लेखन की शुरूआत कर दी थी,आपके लेखन के पीछे प्रेरणा का स्रोत क्या या फिर कौन था?
जब कोई लेखक या कवि बनता है तो उसकी ज़िन्दगी एक इंजीनियर या डॉक्टर जितनी आसान
नहीं होती
क्योंकि भगवान उसे आसान जिंदगी नहीं देता | उसको मुश्किल ज़िन्दगी देते है ताकि वो
लिख सके|
मैं प्रेम की कवयित्री हूँ और एक
प्यार ही है जिसने मुझे बचपन से प्रेरित किया है और जब मैं छोटी थी तब से ही मैं
राहत साहब को सुनती थी और तभी मैंने सोच लिया था कि जीना है तो शेर की तरह ही जीना
है | तो वही
मेरी प्रेरणा थे |
प्र.2 महोदया, आपने अपनी कविताओं के जरिये भारतीय
नारी के भिन्न-भिन्न रूपों को दर्शाया है | तो आपकी उनमें से सबसे प्रिय कविता या फिर रचना कौनसी है?
असल में मैंने कभी सोचा नहीं कि मैं कभी भारतीय नारी को दर्शाऊं या उसकी पैरवी
करूँ | मैंने सिर्फ अपने दिल की बातें लिख दी और जब पढ़ा तो
पाया कि यह तो भारत की हर एक स्त्री, हर एक लड़की, के दिल की बात है| हम बहुत सारी कविताएं लिखते हैं लेकिन जो पढ़ते हैं, सुनाते हैं, वो उनमें से थोड़ी ही हैं | हम अपने लिए लिखते हैं और उनमें से कई छिपा के रखते
हैं, क्योंकि
हमे पता नहीं होता है की समाज
इन्हें स्वीकार करेगा या नहीं | हाल ही में लिखी मेरी एक प्रिय कविता
सुनाना चाहती हूँ :
वो कोई ख्वाब था जिसको सजाने वाली थी
तेरे मकान को एक घर बनाने वाली थी |
तेरी नज़र तो मेरे जिस्म से आगे न गई
मैं तुझे रूह में अपने समाने वाली थी
मैं तेरे मकान को एक घर बनाने वाली थी|
यूँ मंजिलो के लिए छोड़ गया तू मुझको
मैं मंजिलो को तेरे पास लाने वाली थी
मैं तेरे मकान को एक घर बनाने वाली थी|
प्र.3 आप स्वयं ही काफी युवाओं की प्रेरणा हैं हम जानना चाहेंगे कि
वो कौन से कवि या कवयित्री हैं जिन्होंने आपको प्रेरित किया है ?
नहीं मैं किसी का अनुसरण तो नहीं करती हूँ, लेकिन मैं रबिन्द्रनाथ टैगोर से प्रेरित हूँ, जिस प्रकार उन्हें नोबल
पुरस्कार मिला जैसा उनका जीवन रहा | जब मैंने उनकी जीवनी पढ़ी उसके बाद से मुझे सबसे
ज्यादा उनसे प्रेरणा मिली |
हम सभी इस दुनिया में आये हैं, हम सभी अपने लिए जी रहे हैं, अपनी ख़ुशी के लिए जी रहे हैं | आपकी ज़िन्दगी का मतलब है जब आप किसी और के लिए, समाज के लिए, कुछ करके जाएं, लोग याद रखें आपको | टैगोर को लोग आज भी याद करते हैं |
प्र.4 महोदया, आपको “वाह वाह! क्या बात है !”
पर छुपा रुस्तम पुरस्कार से सम्मानित किया था | तो उसके बाद से आपको जनता की कैसी प्रतिक्रिया मिली
?
मैं कविताएं ऐसे ही लिखती थी और अपने लिए ही लिखती थी | कभी किसी को नहीं पढ़ाती थी | लेकिन मैं जब “वाह वाह! क्या बात है”
में प्रस्तुति देने जा रही थी तब मैंने तय किया था
कि मैं ऐसे ही तहतमय कविता सुना दूंगी लेकिन उस रात को ट्रेन में मैंने वो गीत
लिखा जो आज मेरी पहचान बन गया है | हर जगह लोग वही सुनना चाहते है|
प्र.5 महोदया, वर्तमान स्थिति में हिंदी का महत्त्व कम होता जा रहा है| इस पर आपके क्या विचार हैं और आप युवाओं को क्या
संदेश देना चाहेंगी ?
मैं इस बात से सहमत हूँ | लेकिन जैसे मैं हूँ मेरी तरह बहुत से ऐसे कवि और कवयित्री हैं, तो यह एक ऐसी स्थिति है जिस पर हमें
मिलकर काम करना होगा | लेकिन इसका एक सकारात्मक असर भी है | मणिपाल में इंजीनियरिंग कॉलेज में
मुझे बुलाया गया था वहां के प्रधानाचार्य, डीन, किसी को भी हिंदी नहीं आती, लेकिन उन्होंने कोशिश की | और अगर आप खुद इस बात का एहसास करके मुझसे यह सवाल
पूछ रहे हैं तो इसका मतलब है कि इसकी स्थिति सुधर रही है |
साक्षात्कार एवं संपादन : आकांक्षा तिवारी एवं तन्मय शर्मा
फोटोग्राफर : निशिधा श्री
No comments:
Post a Comment